यूनिवर्सिटी ऑफ़ विर्जिनिया
अपनी बेटी के नाम
(with author's permission)
अगर
तुम्हें " कारी "
कहकर क़तल कर दें
मर
जाना, प्यार ज़रूर करना
शराफ़त
के शोकेस में
नक़ाब
डालकर मत बैठना, प्यार
ज़रूर करना
प्यासी
ख़ाहिशों के रेगज़ार में
बबूल
बनकर मत रहना, प्यार ज़रूर
करना
अगर किसी
की याद हौले हौले
तुम्हारे दिल में आती है
तो
मुस्करा देना, प्यार
ज़रूर करना
वो
क्या करेंगे ? बस संग-सार ही
करेंगे तुमको
तुम
अपने जीवन-पल का
लुत्फ़ उठाना, प्यार ज़रूर करना
तुम्हारे प्यार को गुनाह भी कहा जाएगा
तो
क्या हुआ ! . . . . . सह
जाना
प्यार ज़रूर
करना
-
अत्तिया दाऊद
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Keyed in and posted 24 Nov 2002.