यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन

Dialogue 3:  भाई औरर बहन में
by  कुसुम जैन

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शबनम :  दौड़ी दौड़ी आती है )  अम्माँ,  अम्माँ,  छोटे मामा जी आए हैं।
    माँ :  जा
,  जल्दी से दरवाज़ा खोल दे।  उन्हें कमरे में बैठा।  मैं अभी आती हूँ।
शबनम :  मामाजी
,  नमस्ते।
  मामा :  नमस्ते
,  शबनम।  तुम कैसी हो ?  तुम्हारी अम्माँ कहाँ हैं ?
शबनम :  अभी आती हैं।  आप बैठिये।
    माँ :  नमस्ते
,  मदन।  कैसे हो ?  बहुत दिनों बाद आए।
  मदन :  अच्छा हूँ।  तुम कैसी हो
?
       माँ :  ठीक हूँ।  घर में सब ठीक हैं ?  बच्चे कैसे हैं ?  बहुत दिनों से उन्हें देखा ही नहीं।
  मदन :  सब ठीक हैं।  आशा
,  रजनी,  प्रदीप कहाँ हैं ?
       माँ :  वो दोनों तो अभी कालेज से नहीं आईं।  प्रदीप अपने दोस्तों के साथ खेलने गया है।
  मदन :  तुम बहुत दिनों से उधर आई ही नहीं।  अम्माँ तुम्हें याद कर रही थीं
    माँ :  हाँ
,  बस,  आना ही नहीं हो सका।  बहुत दिनों से सोच रही थी आने की
  मदन :  अम्माँ ने कहलवाया है कि दिवाली वाले दिन की रात को सबका खाना वहाँ है।
           हाँ
,  यह मिठाई रख लो।
    माँ :  यह हर बार मिठाई की क्या ज़रूरत है
?  बहन को तो भाई का प्यार ही काफ़ी है।
  मदन :  बस
,  इसे प्यार की ही निशानी समझ लो।  जीजा जी कब तक आएँगे ?
       माँ :  आठ बजे तक आते हैं।
  मदन :  उनसे तो मिलना ही नहीं हो पाता।  तो उनसे कहने कब आऊँ
?
       माँ :  मैं ही उनसे कह दूँगी।
  मदन :  नहीं
,  ऐसे अच्छा नहीं लगता।  अम्माँ ने कहा है कि जीजा जी से ख़ुद ही कह कर आना।
    माँ :  सुबह या शाम को ही मिल सकते हैं।  रहने दो।  तकलीफ़ करने की क्या ज़रूरत है
?
                  घर के ही तो आदमी हैं
  मदन :  नहीं
,  जमाई-भाई की बात है।  ऐसे अच्छा नहीं लगता।  मुझसे हो सका तो कल दफ़्तर में मिल लूँगा।
          नहीं तो यहाँ आऊँगा।  अच्छा अब चलूँ
?
      माँ :  ऐसे तो मैं न जाने दूँगी।  इतने दिनों बाद आए हो।  दो मिनट बैठे नहीं कि जाने की लगी है
          अच्छा
,  बोलो क्या पियोगे ?  चाय या ठंडा ?
   मदन :  अच्छा,  चाय लूँगा।
    माँ :  अभी बना कर लाई दो मिनट में।

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Posted 9 May 2001. Glossing function restored by Lawrence Hook 28 Nov 2105.