यूनीवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन

Dialogue DJ:  यमुना के तीर
by  कुसुम जैन

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glossed version.
एक :  नमस्कार,  भाई।  आप भी सुबह सुबह सैर करने निकले हैं क्या ?
  दो :  नमस्कार।  जी हाँ,  सुबह की ठंडी ठंडी ताज़ी ताज़ी हवा में घूमने में बड़ा आनन्द आता है।
एक :  ऊपर से जमना का किनारा।  तुम्हें पहले कभी इधर देखा नहीं।
 दो :  हाँ
,  मुझे इस इलाक़े में आये हुए कोई एक हफ़्ता हुआ।
एक :  मैं तो देखते ही पहचान गया था कि आप नये हैं।  सोचा कि आपसे मुलाक़त कर ली जाये।
 दो :  क्या आप यहीं के रहनेवाले हैं
?
एक :  जी हाँ।  मैं तो हमेशा से यहीं रहता हूँ।  यह इलाक़ा छोड़ने को मन नहीं करता।
 दो :  बहुत ही सुन्दर जगह है।  इसीलिए मैंने भी यहीं मकान ख़रीदने की सोची।
एक :  अच्छा तो आपने मकान ख़रीदा है।  कितने में मिला
?  कौनसा लिया ?
 दो :  एक लाख में लिया।  मन्दिर के बग़ल वाला।
एक :  क्या आप ही सेठ राम लाल जी हैं
?  सुना है कि आपका बड़ा कारोबार है।
 दो :  जी हाँ
,  मुझे ही सेठ राम लाल कहते हैं। मेरा काग़ज़ बनाने का कारख़ाना है। आपका शुभ नाम औरर काम ?
एक :  मुझे मोहन बाबू कहते हैं।  मैं तो मामूली आदमी हूँ।  स्कूल में प्रिन्सिपल हूँ।
 दो :  प्रिंसिपल साहब
,  आपसे मिलकर तो बड़ी ख़ुशी हुई।
एक :  जी
,  ख़ुशी तो मुझे भी बहुत हुई।  आपके लड़के होंगे।  वो कारोबार में आपका हाथ बंटाते होंगे।
 दो :  मेरे दो लड़के हैं।  बड़ा लड़का कारोबार नहीं संभालना चाहता।  उसका पढ़ाई लिखाई में ध्यान है।  छोटा ही देखता भालता है।
एक :  वो क्या पढ़ रहा है
?
 दो :  इंजीनियरिंग कर रहा है।  मैंने भी उससे कारोबार में आने के लिए ज़बरदस्ती नहीं की।
एक :  यह तो आपने अच्छा किया।  पढ़ाई लिखाई बहुत काम आता है जीवन में।
 दो :  उसने तो शादी के लिए भी मना कर दिया है।
एक :  तो ठीक ही तो है।  शादी के बाद पढ़ना लिखना नहीं हो पाता।
 दो :  सोचता था कि सब काम से फ़ुर्सत पा लूँ।
एक :  चिंता क्यों करते हैं
?  सब ठीक हो जाएगा।  कभी हमारे यहाँ तशरीफ़ लाइयेगा।
 दो :  ज़रूर ज़रूर।

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Posted 13 May 2001.