यूनीवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन

Dialogue DK:  माँ औरर बेटीआजकल की )
by  कुसुम जैन

To
glossed version.
माधुरी :  मम्मी !  आप कहाँ है ?
      माँ :  किचन में हूँ।  पकौड़े बना रही हूँ।
माधुरी :  हाँ
,  बाहर से पकौड़ों की ख़ुशबू तो बड़ी ज़ोर की आ रही थी।  मैंने सोचा था
          कि पद्मा आंटी के यहाँ बन रहे हैं।  मैं आपसे कहने ही वाली थी कि आज पकौड़े
          खाने का मन कर रहा है।
   माँ :  आज तू इतनी जल्दी कैसे आ गयी
?  अभी ४ भी नहीं बजे।  रोज़ तो तू ५ - ६ बजे
          से पहले नहीं आती।
माधुरी :  आज कालेज में क्लासें नहीं हुईं।  एक्ज़ाम भी आ रहे हैं।  अच्छा
,  पहले जल्दी से
          गरम गरम पकौड़े खिला दो।  मुँह में पानी आ रहा है
--- औरर पेट में चूहे दौड़ रहे हैं।
   माँ :  अरे
,  ज़रा रुको एक मिनट।  पहले हाथ धो।  प्लेट में डालकर खा।  चटनी भी बनाई है
          पुदीने की।  खड़े खड़े नहीं।  आराम से बैठकर खाओ।
माधुरी :  मम्मी
,  पकौड़े क्या लाजवाब बने हैं।  मज़ा आ गया।  बारिश का मौसम,  गरम पकौड़े
          औरर वो भी मेरी प्यारी मम्मी के हाथ के बने हुए।
   माँ :  चल।  खा।  ज़्यादा बातें न बना।  कौनसे दूँ
?  आलू के,  गोभी के,  पनीर के या पालग के ?
माधुरी :  एक एक सब दे दो।  बैंगन के नहीं बनाये ?
   माँ :  घर में नहीं था।  सब्ज़ी वाले के पास बासी सा था।
माधुरी :  मम्मी
,  कल मुझे फ़्रेन्ड्ज़ को ट्रीट देनी है।
   माँ :  किस बात की ट्रीट
?
माधुरी :  कल मेरा बर्थ-डे है न ?  आपने भी तो देनी है।  औरर गिफ़्ट भी।  भूल गईं क्या ?
   माँ :  अरे,  हाँ !  देखो कैसे ध्यान से उतर गया !  सुबह तक ध्यान था।
माधुरी :  अब मैंने आपको रिमाइंड करा दिया है।  अब न भूलना।  कल एक बार फिर
          रिमाइंड करा दूँगी।
   माँ :  अच्छा
,  बाबा,  नहीं भूलूँगी।  तू अपनी फ़्रेन्ड्ज़ को घर पर ही क्यों नहीं बुला लेतीं ?
माधुरी :  मम्मी,  फ़्रेन्ड्ज़ को घर पर अच्छा नहीं लगता।  वो कहती हैं कि घर पर फ़्री नहीं
          फ़ील करतीं।
   माँ :  हमारे टाइम में तो हम घर पर ही जाते थे औरर बुलाते थे।  तुम्हारी नानी जी ख़ूब
          ख़ातिर करती थीं।  इस बार तुम इन्वाइट करके तो देखो।
माधुरी :  मम्मी।  इस बार नहीं।  नैक्स्ट टाइम।  हमने फ़ल्मि देखने का भी प्रोग्राम बनाया है।
   माँ :  क्या
?
माधुरी :  पहले,  डॉमिनो का पीज़ा खायेंगे फिर प्रिया में फ़ल्मि।  मुझे एट हन्ड्रेड रु॰ दे देना।
   माँ :  अभी दो
-चार दिन पहले ही तो तुम्हारे पापा ने तुम्हें . . .
माधुरी :  वो तो लाष्ट वीक दिये थे।
   माँ :  पापा से ही माँग लेना।  जल्दी घर आ जाना।  तुम्हारे लिये केक बनाऊँगी।
         तुम्हारी पसन्द के राजमा
-चावल औरर कुछ केक भी।
To glossed version.
To index of dialogues.
To index of  मल्हार.
Posted 13 May 2001. Redrafted and reposted 14-16 May 2001.