यूनीवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन
Dialogue dl: माँ,
बेटा औरर बहू
by कुसुम जैन
To glossed version.
माँ : बहू,
कहाँ हो ? ज़रा देखना तो, बहर कौन आया है ?
चिंटू : दादी जी, मम्मी तो ऊपर लेटी हुई हैं।
मैं देख कर आऊँ ?
माँ : हाँ, बेटा, ज़रा तू ही
देख। मुझसे तो न
जल्दी उठा जाता है न चला जाता है।
चिंटू : धोबी
अंकल आये हैं, दादी
जी।
माँ :
क्यों भई, चमनलाल ?
इतनी देर से कैसे
आये ?
चमनलाल : माताजी, क्या करूँ ? रास्ते
में रिक्शा टायर पंचर हो गया औरर पहिया
भी निकल आया।
माँ : तभी
कपड़ों में मिट्टी लगी है। रिक्शा
उलट गई होगी।
चमनलाल : जी हाँ, अब
कुछ कपड़े दुबरा धोने पड़ेंगे।
अच्छा, बाक़ी सँभाल लीजिए।
बीबीजी
दिखाई
नहीं दे रहीं।
माँ : लगता
है उसकी तबियत ठीक नहीं है।
बहू :
ला, भई चमनलाल,
कपड़े मिला ले। औरर
ये कपड़े धोने के लिए हैं।
चमनलाल : बीबीजी,
आपकी तबियत तो काफ़ी ख़राब
मालूम हो रही है। आप आराम करो।
मैं
ख़ुद कर लूँगा सब। अगली बार मेरा हिसाब
बता देना। आज थोड़े पैसे दे
दीजिए।
माँ : यह ले सौ
रुपए। यह चाय औरर बिस्कुट ले ले।
चमनलाल : १॰॰ रुपये औरर दे दीजिए। रिक्शा
भी ठीक कराना हई।
माँ :
अभी इतने ही हैं। बहू,
लो, चाय
लो। तुम्हारी तबियत कैसी है ?
बहू :
बदन टूट रहा है औरर कुछ बुख़ार भी लग
रहा है।
माँ : तुम घर औरर
बाहर अपनी जान हलकान करती हो। मर्द लोग
तो घर का काम
काम
समझते ही नहीं। आज राजश को आने
दो। उससे फ़ैसला कराना ही होगा।
लो,
नाम लेते ही राजेश भी आ
गया।
राजेश : क्या बात है,
माताजी ? मिन्नी को क्या हुआ ?
माँ : बीमार है। औरर
क्या ? बेटा, तू उससे क्यों काम करवाता
है ?
राजेश :
माँ, आज फ़रि वही क़िस्सा
शुरू कर दिया तुमने।
माँ : क्या
करूँ ? मेरे लाख समझाने पर भी तुम
दोनों सुनते ही नहीं।
राजेश : माँ,
मिन्नी इतनी पढ़ी है। तुम ही
पढ़ी लिखी बहू लाई थीं। इतने चावसे।
घर
बैठ
कर क्या करेगी ? औरर फिर
आज कल ख़र्च इतने बढ़ गए हैं कि एक की
कमाई से गुज़ारा नहीं चलता।
माँ : हमारे
ज़माने में एक की कमाई से १॰ खाते थे।
औरर आज १॰ कमाते हैं फिर भी
पूरा
नहीं पड़ता। देख तो सही क्या हालत होती
जा रही है इसकी। चल, तू कर
सारा काम अब घर का।
राजेश :
तुमने मुझे सिखाया ही नहीं कबी।
माँ :
मुझे क्या पता था कि ज़माना ऐसा आएगा।
नहीं तो, तुझे भी घर के काम ही
सिखाती पहले। अब घर
घर नहीं रहा। मिन्नी कितना काम करे ?
बाहर से
थक कर आती है - फिर
घर का देखे, बच्चे का
औरर मेरा। अच्छा, जा।
पहले
इसे
डाक्टर को दिखा कर आ।
राजेश : अच्छा, माँ। चल मिन्नी।
माँ :
सुन ले बेटा। इसका काम छुड़वा
दे। कुछ सालों के लिए ही सही।
राजेश :
अच्छा, सोचूँगा।
To glossed version.
To index of dialogues.
To index of मल्हार.
Posted 18 May 2001.