यूनीवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन
Dialogue dm: शादी की
बरबादी
by कुसुम जैन
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शोभा : प्रीति,
तुमने सुना ?
अरुण की शादी टूट गई।
प्रीति : हाँ, कुछ लग तो रहा था कि यह शादी टिकेगी
नहीं।
शोभा : क्यों ? शादी तो इतनी धूमधाम से हुई थी।
प्रीति : भई शोभा, यह शादी अरुण से ज़बरदस्ती करवाई गई थी।
उसने दो बार लड़की से मिलकर
शादी के लिए मना कर दिया था।
शोभा : तुम्हें कैसे
पता ?
प्रीति : उसकी ताई बता रही थी।
लड़की अरुण से पहली मुलाक़ात में ही अटपटी
बातें करती थी कि
अगर हमारा मन नहीं
जुड़ा तो हम तलाक़ ले लेंगे।
कौन लड़की पहली मुलाक़ात में शादी
तोड़ने की बात करेगी ? वो भी इंडिया में !
शोभा : तो फिर
उसने शादी के लिए हाँ क्यों कर दी ?
प्रीति : अरुण की माँ जन्मपत्री
को बहुत मानती है। पंडित जी ने कह
दिया कि इस लड़की से पत्री
अच्छी मिली है। बस लड़के पर ज़ोर डाल दिया।
शोभा : लेकिन फिर शादी टूट
क्यों गयी ?
प्रीति : लड़की का शादी से
पहले किसी के साथ चक्कर चल रहा था। औरर शादी
के बाद भी
मिलते रहे।
शोभा : फिर उन दोनों की शादी
क्यों नहीं हुई ?
प्रीति : लड़के की माँ
ने पैसे वाली लड़की से शादी कर दी थी।
शोभा : तो लड़का तो शादीशुदा
था। फिर क्या चक्कर ?
प्रीति : लड़के ने लड़की
को झाँसे में रखा। कहा कि तू भी
शादी कर ले। फिर हम दोनों
अपने पार्टनर से तलाक़ ले लेंगे।
औरर शादी कर लेंगे।
शोभा : औरर लड़की इस झाँसे
में आ गई ?
प्रीति : सुना नहीं प्यार
अंधा होता है ?
शोभा : उनका यह राज़ अब
अरुण पर खुल गया होगा।
प्रीति : उसको तो शुरू से ही शक
था। उन दोनों के बीच कुछ भी
नार्मल नहीं था। उसने उन
दोनों की बात
टेलीफ़ोन पर सून ली। रिकाॅर्ड भी कर
ली।
शोभा : क्या वह लड़का अब अपनी बीबी को
तलाक़ दे देगा ?
प्रीति : वो नहीं
देने वाला। अगर इतने हिम्मत होती
औरर इतना सच्चा प्यार होता तो क्या तो
लड़की से ही शादी नहीं कर लेता ?
शोभा : कितना
धोकेबाज़ निकला। लड़की तो मारी गयी।
सिफऱ् बदनामी ही पल्ले पड़ी।
उसकी एक छोटी बहन भी
है। माँ बाप के लिए उसकी शादी करना
मुश्किल हो जाएगा।
प्रीति : माँ बाप तो किसी को
मुँह दिखाने लायक़ नहीं रहे। माँ
का तो रो रो कर बूरा हाल है।
शोभा : लड़के-लड़की वालों ने शादी में
दिये ज़ेवर कपड़े व सामान लौटा दिया
होगा ?
प्रीति : हाँ, बिरादरी के चार आदमियों को बीच
में बैठा कर फ़ैसला कर लिया था रिश्ता
तोड़ने का।
तलाक़ तो
कोर्ट में ही होगा।
शोभा : वहाँ पता नहीं कितना
समय लगे।
प्रीति : देखो, माँ बाप की नासमझी से बच्चों की
ज़िन्दगियाँ बरबाद हो गयीं।
गुड्डे-गुड़िया का
खेल
समझ लेते हैं। यही है शादी की
बरबादी।
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Posted 20 May 2001.