यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन
Some dohas by Kabir ( कबीर )
दुख में सिमरन
सब करें, सुख
में करे न कोये
जो सुख में सिमरन
करे, तौ दुख काहे
को होये ?
काल करे सो आज
कर, आज करे सो अब
पल मैं प्रलय
होयेगी, बहुरी करोगे कब ?
बड़ा हुआ तो क्या
हुआ, जैसे पेड़
खजूर
पन्थी को छाया नहीं, फल लागे अतिदूर।
अकथ कहानी प्रेम की,
कुछ कही न जाये
गूँगे केरी सर्कर, बैठे मुस्काए।
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Posted 18-29 Feb 2002.