यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन
मीर तक़ी ' मीर '
ग़ज़ल in -आम
उलटी
हो गईं सब
तदबीरें
,
कुछ न दवा
ने काम किया
देखा ? इस बिमारी-ए-दिल
ने आख़िर काम तमाम किया । ।
१ । ।
अहद
-ए-जवानी
रो-रो काटा
, पीरी
में लीं
आँखें मूँद
यानी
रात बहुत
थे जागे
,
सुबह हुई, आराम
किया
। । २ । ।
हफऱ्
नहीं
जान-बख़्शी
में उसकी, ख़ूबी
अपनी क़िस्मत
की
हमसे जो पहले कि भेजा
सो
मरने का
पैग़ाम
किया
। । ३ । ।
नाहक़
हम
मजबूरों
पर यह तहमत
है मुख़तारी
की
चाहते हैं सो आप करें
हैं, हम को अबस
बदनाम
किया । । ४ । ।
सारे
रिंद-ओबाश
जहाँ के
तुझसे सुजूद
में रहते हैं
बाँके
टेढ़े
तिरछे
तीखे
सब का तुझे इमाम
किया । । ५ । ।
सरज़द
हमसे बेअदबी
तो वहशत
में भी कम ही हुई
कोसों
उसकी ओर
गये पर सिजदा
हर हर गाम
किया
। । ६ । ।
शैख़
जो है
मसजिद
में
नंगा
, रात को था मैख़ाने
में
जुब्बा
, ख़िरक़ा
, कुरता
,
टोपी
मस्ती
में इनाम
किया
। । ७ । ।
किसका काबा
,
कैसा क़िबला
,
कौन हरम
है, क्या एहराम
कूचे
के इसके बाशिन्दों
ने सब को यहीं
से सलाम किया
। । ८ । ।
काश
अब बुरक़ा
मुँह
से उठा दे, वरना
फिर क्या हासिल
है
आँख
मुँदे
पर
उनने गो
दीदार
को अपने आम
किया । । ९ ।
।
याँ
के सपेद-ओ-सियाह
में हमको दख़ल
जो है सो
इतना है
रात
को रो-रो सुबह किया
औरर दिन
को ज्यों त्यों
शाम किया
। । १ ॰ । ।
सुबह चमन
में
उसको कहीं
तकलीफ़-ए-हवा
ले आई थी
रुख़
से गुल
को मोल
लिया
, क़ामत
से सर्व
ग़ुलाम
किया
। । १ १ । ।
साइद
-ए-सीमीं
दोनों उसके हाथ में ला
कर छोड़ दिए
भूले
उसके क़ौल
-ओ-क़सम
पर, हाय, ख़याल
ख़ाम
किया । । १ २ ।
।
काम
हुए हैं
सारे
ज़ाया
हर साअत
की समाजत
से
इस्तिग़ना
की
चौगुनी
उनने ज्यों-ज्यों
मैं इबराम
किया
। । १ ३ । ।
ऐसे आहू
-ए-रमख़ुर्दा
की वहशत
खोनी
मुश्किल थी
सिहर
किया, एजाज़
किया,
जिन लोगों ने
तुझको राम
किया । ।
१ ४ । ।
' मीर ' के दीन
-ओ-मज़हब
को अब पूछते
क्या हो ? उनने तो
क़शक़ा
खींचा
, दैर
में बैठा,
कब का
तर्क
इसलाम किया
। । १ ५ । ।
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Keyed in 11 Nov 2001. Posted 12 Nov 2001.
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