यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन
सलीम की कहानी
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मैं सलीम खान अपने जीवन के
बारे में दो-चार
बातें कह रहा हूँ।
मैं जिला मेरठ गाँव सतवाई का खान
परिवार में जनम लिया।
मेरे माँ-बाप
पढ़े-लिखे नहीं थे
औरर गरीब स्थिति में थे।
गरीब स्थिति में थे।
हम पाँच भाई, एक बहन
हैं।
मेरे बचपन
में... मेरे बचपन
में... मैं जब
पैदा हुआ तब बहुत ही तन्दुरुस्त था।
मेरा बड़ा भाई मुझे खिलाता था।
मैं इतना मोटा-ताजा
था के उससे
सँभलता नहीं था।
एक बार सर्दियों में मुझे
गोद में लेके मेरा बड़ा भाई
चुल्हे के आगे.ाम्प्ऌ.ाम्प्ऌ.ाम्प्ऌ हाथ (?) जलती हुई आग में सेंक रहा
था औरर मैं उसकी गोद में से
लपक-लपक कर रहा था।
एक बार ऐसा लपका के उससे छूटके
मैं आग में जा गिरा जिससे मेरा
मुँह जल गया।
यह मुझे याद नहीं लेकिन मेरे
माँ-बाप मुझे बताते
हैं।
औरर मेरे जलने के बाद इतनी तकलीफ़
हुई कि मेरे माँ-बाप
अल्ला-ताला से कहने लगे
कि " अल्लाह, तू इसकी मिटटी सँवार ले।
इसका दुख सहा नहीं जाता। "
लेकिन माँ का कलेजा इन बातों
से फटने लगता है औरर हमारी माँ ने
मुसीबतों से, बड़ी मुश्किलों से मुझे
महनत करके पाला-पोसा,
बड़ा किया।
आज मेरी उमर तीस-बत्तीस साल है।
अच्छा, मुझे ये बातें याद आती
हैं तो मुझे अपनी माँ से
(?) बहुत याद आती हैं,
औरर उनको मैं तड़फ़ने
लगता हूँ।
वह अधिकतर मेरठ बड़े भाइयों के पास
रहती हैं औरर मेरे वालिद साहब गुज़र
चुके हैं जिनको सात आठ साल हो गए
हैं।
मेरे सभी परिवारवाले मेरठ में
रहते हैं औरर मेरी माँ भी मेरठ
में ही मेरे छोटे भाई के पास रहती
हैं।
मैं हमेसा अपनी माँ
के लिए तड़फ़ता रहता हूँ लेकिन हमेसा
मिलता रहता हूँ औरर कभी अपने पास बुला
लेता हूँ।
हम पाँचों भाइयों में
से भी माँ की किसी भी तकलीफ़ को बरदास नहीं
करते।
उनकी हर मुस्किलों का आसान करते
हैं। हमेसा उनको प्यार देते
हैं।
उनकी सेवा करते हैं।
तो मैं अकेला दिल्ली
रहता हूँ अपने बच्चों के साथ।
मैंने यहीं पे मकान बनाया वा
(for हुआ ) है।
मेरे चार बच्चे हैं।
तीन स्कूल जाते हैं औरर एक अभी
छोटा है जिसका इस साल एडमिशन --- इस साल स्कूल में दाख़िला कराना है।
अल्ला-ताला का रहम-ओ-करम है।
जिन्दगी सही-सही बसर हो रही
है।
हर तरह की मौज-बहार है।
किसी प्रकार की कोई तकलीफ़ नहीं है।
ख़ुदा हाफ़ज़ि।
Index of monologs.
To index of मल्हार.
Recorded in Delhi by कुसुम
जैन in May 2002. Transcribed and posted 17 June 2002 and 3
July 2002. Audio file created and posted 28 June 2002.