यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन

Dialog de:  माँ औरर बेटी;  भाई औरर बहन
by  कुसुम जैन

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 आशा :   माँ,  तुम कहाँ हो ?  मुझे बड़ी भूख लगी है।  रसोई में भी नहीं हो।
   माँ :   आती हूँ
,  ज़रा ग़ुसलख़ाने में हूँ।  लो आ गई।  आते ही भूख भूख का शोर मचाती है।
          लेकिन आज कालेज से आने में इतनी देर कैसे हुई
?
 आशा :  अरे माँ,  माफ़ करना।  मैं तुम्हें बताना ही भूल गई।
          लेकिन सुबह पिताजी को तो बताया था।  आज हमारे कालेज में ड्रामा था।  बहुत ही अच्छा।
   माँ :  अच्छा तो था।  लेकिन मैं तो चिन्ता के मारे मरी जा रही थी
          दो बार प्रदीप को भेजा तुम्हें देखने के लिए।  तुम्हारे पिता जी ने भी मुझसे कुछ नहीं कहा।
          अच्छा आगे से कह कर जाना।  लड़कियों का देर तक घर से बाहर रहना मुझे पसन्द नहीं।
          सूरज छिपने से पहले घर आ जाओ।  मोहल्ले वाले देखेंगे तो क्या कहेंगे कि फ़लाने की
          लड़की इतनी देर से घर आती है।
 आशा :  अच्छा
,  माँ,  अब जल्दी से खाना दो।  भूख के मारे दम निकल रहा है।
    माँ :  खाना तैयार है।  क्या आज कपड़े नहीं बदलते
?  तुम इतने में कपड़े बदल कर आओ।
          मैं खाना लगाती हूँ।
 आशा :  माँ
,  प्रदीप औरर शबनम कहाँ हैं ?  यहाँ दिखाई नहीं दे रहे।
    माँ :  यहीं ज़रा आँगन में खेल रहे होंगे।  उनको भी आवाज़ लगा लो।  वो भी खा लेंगे।
 आशा :  अभी लगाती हूँ।  ये तो बताओ कि आज बनाया क्या है
?
      माँ :  रसे के मटर-आलू,  सूखी भिंडी औरर खीरे का रायता।  फुल्का बनाऊँ या पराँठी ?
 आशा :  फुल्का।  सब्ज़ियाँ प्याज़ की हैं न ?
      माँ :  हाँ।
शबनम :  हम बाहर खेल रहे थे।  अम्माँ
,  देखो भैय्या मुझे अपने साथ नहीं खिलाता।
    माँ :  क्यों प्रदीप
?  यह तो ठीक नहीं।  वह तो तुम्हारी छोटी बहन है।
          उसे साथ खिलाया करो
 प्रदीप :  वो मुझे तंग करती है।
शबनम :  नहीं
,  मैं तो तंग नहीं करती।  अम्माँ,  भैय्या से कहो तो मुझे कल खिलाएगा।
    माँ :  हाँ
,  कल खिलाएगा।  अब हाथ धोकर खाने आओ।
 आशा :  तुम दोनों ने स्कूल का सारा काम ख़त्म कर लिया
?
शबनम :  हाँ,  दीदी,  मैंने सारा काम ख़त्म कर लिया।  भैय्या ने नहीं किया।
 प्रदीप :  देखो अम्माँ।  ये हरदम
चुग़ली खाती है।  दीदी,  मैंने भी कर लिया।
 आशा :  अच्छा
,  तुम दोनों झगड़ा न करो।  मुझे एक प्यारी सी पप्पी तो दो।
    माँ :  खाना कैसा बना है
?
   तीनों :  बहुत अच्छा बना है।
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Posted 3 May 2001.