यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन
Dialogue DF: माँ औरर
सब्ज़ीवाले
by कुसुम जैन
To glossed version. (underway)
सब्ज़ीवाला : सब्ज़ीवाला ऽ। सब्ज़ी
ले लो। ताज़ी ऽ, हरी ऽ
सब्ज़ी ऽ। आलू, गोभी, मटर।
माँ :
शबनम ! ज़रा सब्ज़ीवाले
को तो रोक। पता
नहीं वो शाम को सब्ज़ी लायें,
न लायें।
शबनम : सब्ज़ीवाले,
ज़रा ठहरना। अम्माँ सब्ज़ी
लेंगी।
माँ :
क्यों भई, सब्ज़ी क्या
भाव दी ?
सब्ज़ीवाला : आलू ५ रुपए
किलो, मटर ढाई रुपए पाव,
गोभी १॰ रुपए किलो।
माँ : बड़ी
महँगी सब्ज़ी दे रहा है। अभी परसों ही
तो वो बाज़ार से सब्ज़ी लायें
हैं।
४ रुपए किलो आलू, डेढ़ रुपए पाव मटर !
सब्ज़ीवाला : बीबीजी, आप भी क्या बात कर रहीं हैं ?
वो ऐसी नहीं होगी।
ये देखो कितना बड़ा
औरर साफ़ आलू है। मटर कितनी हरी। खाकर
देखो कितने मीठे दाने हैं।
माँ :
हाँ, इतनी ही अच्छी मटर थी।
शिमले की। तुझे देनी है
तो ठीक भाव दे जा।
एक दाम बोल, क्या
देगा ?
सब्ज़ीवाला : तुम क्या भाव
लोगी ?
माँ : यही ४
रुपए किलो आलू, डेढ़ रुपए
पाव मटर। देनी है तो एक एक सेर तोल
जा।
सब्ज़ीवाला : इतने की तो ख़रीद भी नहीं।
मंडी के भाव भी नहीं पड़ता।
माँ :
देख ले। तेरी मर्ज़ी है।
तुझे पड़े तो दे जा। जल्दी
बोल, मैं अपना काम
बीच में
छोड़ कर आई हूँ।
सब्ज़ीवाला : अच्छा लो, ले जाओ। तुम भी याद
रखोगी। मैं अपनी बोनी नहीं ख़राब
करना
चाहता। सिफऱ् तुम्हें इस भाव दे रहा
हूँ।
माँ : ठीक ठीक
तोल। डंडी को मार रहा है ?
सब्ज़ीवाला : ये देखो।
अब ठीक है। मैं कोई बेईमान
थोड़ी हूँ।
माँ : एक पाव
टमाटर भी दे दे। कितने पैसे हुए
?
सब्ज़ीवाला : पन्द्रह रुपया।
माँ :
थोड़ी हरी मिर्च औरर धनिया तो दे
दे। शबनम, ज़रा अल्मारी
में से मेरा बटुआ
लाइयो। देख, हर दूसरे-तीसरे
दिन सब्ज़ी दे जाया कर। कल गाजर
दे जाइयो।
सब्ज़ीवाला : कितनी लोगी ?
माँ : यही कोई आठ-दस सेर। हलवा बनाना है।
नहीं तो कुछ दिनों में चली
जायेगी।
शबनम : ये लो बटुआ।
माँ : ये
रहे पैसे। हाँ, तो कल ज़रूर दे जाइयो।
सब्ज़ीवाला : अच्छा। ( जाते हुए ) - - - सब्ज़ीवाला ऽ ऽ। हरी, ताज़ी सब्ज़ी ऽ।
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Posted 12 May 2001. Updated 22 May 2001. Linked 9 Jan 2002.