यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन
Dialogue do: चोरी (2):
पुलिस औरर मुफ़लिस
by कुसुम
जैन
(used with author's permission)
To glossed version.
सीमा :
आइए, इंस्पैक्टर
साहब, बैठिये।
इंस्पैक्टर : मिसेज़ मेहरा,
आपके कहने से हमने
आपके छोटू से पूछताछ की तो
उसने
बताया कि जब
वो ऊपर सोया हुआ था तब दो पंजाब
के उग्रवादी आये औरर
उन्होंने उसे छुरा दिखाकर डराया।
सीमा : उसे कैसे पता कि
वो उग्रवादी थे औरर वो भी
पंजाब के ?
इंस्पैक्टर : उसने बताया
कि वो पंजाबी बोल रहे थे।
सीमा : तब तो पुलिस को
इस मामले को ज़्यादा सीरियसली नहीं लेना
चाहिये क्या ?
इंस्पैक्टर : पुलिस भला
कर ही क्या सकती है इस में ?
सीमा : पंजाब
के उग्रवादियों को पकड़ने के लिए
सड़कों पै जगह २ रोड ब्लॉक्स लगाये
जाते
हैं रोज़। औरर यहाँ वो घर घर
में चोरियाँ कर रहे हैं धड़ल्ले
से। आप कह
रहे
हैं कि पुलिस कर सकती ही क्या है ?
पुलिस के महकमे को
तो इसकी तहक़ीक़ात
करने
के लिए जी जान से जुट जाना चाहिये।
इंस्पैक्टर : अगर कुछ भी कार्रवाही की
तो वो कहीं छोटू को नुक़सान न
पहुँचा दें।
सीमा : तो छोटू को आप
पूरी प्रोटैक्शन दीजिये।
इंस्पैक्टर : आप ये बातें एस॰
एच॰ ओ॰ साहब से ही कीजिये थाने आकर।
सीमा : छोटू है कहाँ
?
इंस्पैक्टर : छोटू
को ले आया हूँ। बाहर है।
अच्छा, अब मैं चलता
हूँ।
( सीमा बाहर झाँकती है। )
सीमा : छोटू
बेटा, अन्दर आ। बाहर
क्यों खड़ा है ? तू
ठीक है न ? पुलिसवालों ने तुझे
तंग
तो
नहीं किया ?
छोटू :
नहीं बीबीजी। पहले वो मुझे
घर नहीं ला रहे थे। मुझसे कह रहे
थे कि तू अब वहाँ
जाकर क्या
करेगा ? जा, कहीं औरर चला जा। मैंने
कहा कि मैं तो बाबूजी औरर बीबीजी
के पास ही
जाऊँगा।
सीमा : यह तो तूने
बहुत अच्छा किया। जब तू दो दिन से
नहीं आया तब मैं सबसे बड़े थाने
गई औरर कहा कि मेरा छोटू अभी तक नहीं आया
है -- उसे पता करके
मेरे पास भेजिये।
औरर कह दिया कि उसका बाल भी बाँका न हो।
छोटू : उन्होंने
तंग तो नहीं किया मुझे। कुछ
पूछा भी नहीं मुझसे।
सीमा : छोटू बेटा,
मुझे सच २ बता क्या हुआ
था ? जब चोरों
ने तुझे छुरा दिखाया तो तू सो
कैसे गया ? उनके
जाते ही तू अंदर क्यों नहीं आ गया
औरर हमें उठाया क्यों नहीं ?
दरवाज़ा तो खुला ही पड़ा
था।
छोटू : ( आँखें नीची करके चुप रहता
है। )
सीमा :
छोटू, डरो
नहीं, बेटा।
पंजाब के उग्रवादियों को
पकड़वाने में तुम पुलिस की मदद
करोगे तो सरकार तुम्हें इनाम
देगी।
छोटू : बीबीजी, वो लोग उग्रवादी नहीं थे।
पुलिस झूठ बोलती है।
सीमा : अच्छा, तो वो कौन थे ? क्या तू उनको जानता है ?
छोटू : जी
हाँ, वो मेरे
गाँव के ही थे।
सीमा : तो वो यहाँ
कैसे आये ?
छोटू : जब
मैं पिछली बार सिविल लाइन्स गया था अपने
दोस्त से मिलने तब वहाँ इन
लोगों
ने मुझसे
सब आपके बारे में पूछा। औरर कहा
कि मैं बताऊँगा तो मुझे १॰॰ रुपए
देंगे।
नहीं
बताऊँ तो मारेंगे।
सीमा : फिर ?
छोटू :
चोरी से दो दिन पहले रात को
यहाँ आए थे। औरर सब देख गए थे।
सीमा : तभी सारी तैयारी से
आये थे। क्या उन्होंने तुझे
ही पहले शीशे वाली जगह से अन्दर
घुसाया था क्योंकि तू छोटा औरर
पतला सा है ?
छोटू : जी
हाँ।
सीमा : छोटू, तुम सच बड़े बहादुर हो।
तेरे सच बोलने से मुझे
बहुत ख़ुशी हुई।
( उसे गले लगाती है। )
मैं तुम्हें इनाम
दूँगी --- पुलिस
का तो कुछ पता नहीं।
लेकिन तुम
पुलिस को सब सच सच बताना। डरना नहीं।
छोटू : अच्छा बीबीजी। ( थोड़ी देर के बाद )
आपको पुलिस पर बड़ा भरोसा
है . . .
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Composed 22-23 May 2001. Posted 24 May 2001.