यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन

Dialogue du:  चोरी (3)
by  कुसुम जैन
(used with author's permission)

To
glossed version.
                   ( बड़े थाने में )
     सीमा :  भाई साहब,  मुझे कमिश्नर साहब से मिलना है।
 पी॰ ए॰ :  अभी देखिये
,  साहब अभी मीटिंग में हैं।  बिज़ी हैं।
   सीमा :  उन्होंने मुझे ११ बजे बुलाया था।  मुझे एक घंटा हो गया है इंतज़ार करते
-करते।
          
 ( थोड़ी देर बाद,  कमिश्नर के ऑफ़सि में )
     सीमा :  नमस्ते,  कमिश्नर साहब।  मेरे घर चोरी हुई थी १॰ दिन पहले।  मैंने तुरंत पुलिस को
            ख़बर की थी।  इलाक़े की पुलिस ने अभी तक कुछ नहीं किया है।  मेरे घर में एक
            लड़का काम करता है
,  वो चोरी के बारे में सब कुछ जानता है।
कमिश्नर :  क्या आपने अपने इलाक़े के थाने में यह बताया
?
     सीमा :  इलाक़े के थाने वालों को भी बताया,  एस॰ एच॰ ओ॰ साहब को भी।  तो वो कहते हैं कि
            मेरे दिमाग़ की थियोरी है।  मेरे बहुत कहने पर उन्होंने एक सब
-इन्स्पेक्टर को भेजा था।
            लड़के को भी ले गये पूछताछ के लिए।  बस आकर कह दिया कि ये पंजाब के
            उग्रवादियों का हाथ बता रहा है।
कमिश्नर :  अच्छा ऐसा कहा
?  हम देखते हैं।  लेकिन आप उस नौकर को अपने पास घर में क्यों रखे
            हुए हैं
,  अभी तक ?
     सीमा :  तो क्या उसे घर के बाहर कर दूँ ?  जिससे एक औरर पुलिस को भत्ता देने वाला बन जाय ?
                    वह चोर नहीं है।  उसे तो फँसाया गया है।  पुलिस को तो ऐसों को सुधारने की कोशिश
            करनी चाहिये
,  उलटे चोर बनने को मजबूर करती है।
कमिश्नर :  क्या आपको उससे डर नहीं लगता
?
     सीमा :  जो सच बोल रहा हो,  जो ख़ुद जुर्म का हिस्सेदार बनने पर मजबूर किया जा रहा हो,
            उससे डर कैसा
?  डर तो मुझे पुलिस के संरक्षण में चल रही जुर्मियों से है।
कमिश्नर :  
   सीमा :  मैं ऐसा सोचने पर लाचार हूँ।  पुलिस छोटू की मदद से चोरों को पकड़ने की बजाय उसे
            ही लावारिस बनाना चाहती है।  गैंग से उसकी जान को ख़तरा है।  मुझे अपनी हिफ़ाज़त
            करनी पड़ रही है।  एक चौकीदार रखा है।
कमिश्नर :  अच्छा
,  यह मामला क्राइम ब्राँच को दे देते हैं।
   सीमा :  जैसा आप ठीक समझें
,  बड़ी मेहरबानी होगी।
कमिश्नर :  क्या आपकी बहुत बड़ी चोरी हुई है
?
     सीमा :  जी हाँ,  पुलिस पर हमारा विश्वास,  जो बहुत क़ीमती है।  उसे आपको हमें लौटाना है।
                    (to be continued)
To glossed version.
To next episode.
To index of dialogues.
To index of  मल्हार.
Drafted 17-18 June 2001. Posted 19 June 2001.