यूनीवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन

Dialogue dv:  ऊँची दुकान फीका पकवान
by  कुसुम जैन

To
glossed version.
रोहिणी :  आज आप कुछ उदास,  परेशान से घर लौटे हैं।  कुछ हो गया क्या ?
 रोहित :  कोई चिन्ता की बात नहीं।  बस यही सोच रहा था कि ये बड़े बड़े लोग कितने हलके
          औरर छोटेपन पर उतर आये हैं।
रोहिणी :  आप किसकी बात कर रहे हैं।  क्या जो इटली से आपका व्यापारी आया है उसकी तरफ़
           इशारा है
?  हाँ,  आज तो आपको उसे फ़ाईव स्टार में डिनर खिलाने ले जाना था।
 रोहित :  हाँ
,  वहीं से आ रहा हूँ।  बात फ़ाईव स्टार वालों की है।  पाँच सितारा होटलों की।
           लोरेंज़ो की नहीं।  खाने के बाद जब बिल पे करने के लिए जेब में हाथ डाला तो देखा
           वालेट नहीं है।  आफ़सि में ही भूल गया चलने से पहले।
रोहिणी :  यह तो गड़बड़ हो गयी।  तो आपका छोटा भाई भी तो साथ था।  क्या उसने पे किया
?
 रोहित :  नहीं।  वो तो वैसे ही लापरवाह है।  पैसे रखता ही नहीं।  उसने सोचा मैं जो हूँ।
रोहिणी :  तो क्या लोरेन्ज़ो ने पे किया
?
 रोहित :  नहीं भाई।  उसको तो पता भी नहीं चलने दिया।  मैं चुपके से उठकर मैनेजर के पास गया।
          औरर उसे बताया कि मैं अपना वालेट भूल आया हूँ।
रोहिणी :  उसने क्या कहा
?
 रोहित :  वो साला मुँह बनाने लगा जैसे मैं झूठ बोल रहा होऊँ।  मेरी बात मानने से आनाकानी
           करने लगा।
रोहिणी :  बड़ा सड़ियल निकला।
रोहित :  उससे कहा कि मैं कल सुबह सुबह उसे पेमैंट कर जाऊँगा।  उसे अपना सारा अता
-पता दिया।
रोहिणी :  तो क्या वो मान गया
?
 रोहित :  अरे कहाँ ?  वो निकम्मा मानने के लिए तैयार ही नहीं था।
रोहिणी :  तो फिर बिल का पेमैंट कैसे हुआ
?
 रोहित :  मैंने पूछा कि  " हम क्या करें ?  आप क्या चाहते हैं ?"  तो पता है उसने क्या कहा कि
                   अपनी कोई क़ीमती चीज़ रखके जाओ -- कल जब बिल पे कर दोगे तो ले लेना। "
 रोहिणी :  तब आपने क्या दिया रखने के लिए ?  अँगूठी वगैरे तो आप पहनते नहीं।
 रोहित :  अपनी घड़ी दी।  औरर क्या
?
रोहिणी :  इतना बड़ा फ़ाईव स्टार होटल औरर १५॰॰ रुपए के लिए इतना घटियापन दिखाया।
 रोहित :  लाखों रुपया अपने ऐड्ज़ पर ख़र्च कर डालते हैं।  औरर अपने गैस्ट को १५॰॰ के लिए
           ज़लील करने से नहीं चूकते
!
रोहिणी :  लगता है कि शराफ़त की तहज़ीब से कोसों दूर हैं।  मुझसे तो सब्ज़ी वाले भी कह देते हैं
                 " बहनजी,  आप सब्ज़ी ले जाओ।  पैसे आते रहेंगे। "  मेरे साथ तो बहुत बार ऐसा होता है।
 रोहित :  इसे कहते हैं ऊँची दुकान फीका पकवान।

To glossed version.
To index of dialogues.
To index of  मल्हार.
Drafted 28-29 May 2001. Posted 2 June 2001.